भारत में इस जगह बच्चे को जन्म देते वक्त चाहकर भी नही रो पाती महिलाएँ, अजीबोग़रीब परंपरा के चलते महिलाओं को सहना पड़ता है दर्द

Millind Goswami
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बच्चे को जन्म देना एक महिला के लिए बेहद खास पल होता है। मां बनने पर वह खुशी और प्यार से भर जाती है। हालाँकि, यह एक बहुत ही दर्दनाक अनुभव भी है। हर महिला को बच्चे को जन्म देते समय काफी दर्द और तकलीफों से गुजरना पड़ता है। वह प्रसव के दौरान रोती और चिल्लाती है, लेकिन अंत में जब वह पहली बार अपने सुंदर बच्चे को देखती है तो यह सब इसके लायक होता है। दुनिया भर में कई अलग-अलग परंपराएं हैं, जिनमें से कुछ बहुत अच्छी हैं। बच्चे को जन्म देते समय न रोने की परंपरा के बारे में सुनकर आप हैरान रह सकते हैं। कुछ संस्कृतियों में, महिलाओं को बच्चा होने पर रोने की अनुमति नहीं होती है। सोचिए अगर किसी महिला से कहा जाए कि वह प्रसव के दौरान रो नहीं सकती तो क्या होगा!

कौन सी है वह जगह?

बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया काफी दर्दनाक हो सकती है, लेकिन नाइजीरिया के हौसा समुदाय में महिलाओं को अपना दर्द दिखाने या जाहिर करने की इजाजत नहीं है। ऐसा माना जाता है कि महिलाएं जितना सहती हैं उससे कई गुना ज्यादा दर्द सहती हैं, लेकिन उन्हें प्रसव के दौरान दर्द से कराहने की इजाजत नहीं है। दुनिया के कुछ हिस्सों में महिलाएं बिना किसी दर्द निवारक के प्रसव पीड़ा से गुजरने को मजबूर हैं। नाइजीरिया में हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि वहां की कई महिलाओं को पता नहीं है कि दर्द निवारक दवाएं भी मौजूद हैं। इसका मतलब यह है कि वे न चाहते हुए भी इस दर्दनाक अनुभव से केवल इसलिए गुजरने को मजबूर हैं क्योंकि यह परंपरा है। अफसोस की बात है कि इन महिलाओं में इतनी ताकत नहीं है कि वे बोल सकें और इस क्रूर परंपरा को बदल सकें।

क्या है बाकी समुदायों का हाल

नाइजीरिया कई अलग-अलग समुदायों का घर है, प्रत्येक के अपने रीति-रिवाज हैं। बोनी समुदाय में लड़कियों को छोटी उम्र से ही प्रसव पीड़ा के बारे में सिखाया जाता है। हालांकि, फुलानी समुदाय में लड़कियों को बताया जाता है कि बच्चे के जन्म के दौरान डरने या रोने में कोई बुराई नहीं है। हौसा परंपरा बताती है कि बच्चे के जन्म की कहानियां सुनकर रूह कांप जाती है।

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